7 अक्टूबर, 2001 को जब नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली, तब राज्य भूकंप की तबाही से जूझ रहा था। विपरीत परिस्थितियों में उन्होंने गुजरात को न केवल पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया, बल्कि इसे औद्योगिक प्रगति और सुशासन का प्रतीक बनाने की शुरू में राह को अपनाया। जब मीडिया गोधरा दंगों की बात कर रहा था वे ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ की तैयारी में जुट गए थे। उन्होंने इसके जरिए वैश्विक निवेशकों को आकर्षित कर राज्य को निवेश का केंद्र बनाया। उनके इस कदम से यह स्पष्ट हो गया कि इनका विजन साफ है, भले ही दुनिया कुछ भी कहे, उन्होंने जो तय किया है, उसी राह पर चलना है।
@rashtriyasamacharbharat
Updated at : 09 Oct 2025 03:33 PM (IST)
Published at : 07 Oct 2025 11:26 AM (IST)
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